Hanuman Chalisa
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Shankar mahadevan with beats fast
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श्री गुरु चरण सरोज रज निज मनु मुकुरु सुधारि ।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु जो दायकु फल चारि ॥
बुद्धि हीन तनु जानिकै सुमिरौं पवनकुमार ।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहि हरहु क्लेश विकार ॥
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।
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जय हनुमान ज्ञान गुण सागर
जय कपीस तिहुं लोक उजागर ।॥ (१)
रामदूत अतुलित बलधामा
अन्जनि पुत्र पवनसुत नामा ॥ (२)
महाबीर बिक्रम बजरंगी
कुमति निवार सुमति के संगी ॥ (३)
कंचन बरन बिराज सुबेसा
कानन कुण्डल कुंचित केसा ॥ (४)
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै
कांधे मूंज जनेऊ साजे ।॥ (५)
संकर सुवन केसरी नन्दन
तेज प्रताप महाजगबन्दन ।॥ (६)
विद्यावान गुनी अति चातुर
राम काज करिबै को आतुर ।॥ (७)
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया
राम लखन सीता मन बसिया ।॥ (८)
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा
विकट रूप धरि लंक जरावा । (९)
भीम रूप धरि असुर संहारे
रामचन्द्र के काज संवारे ।॥ (१०)
लाय सजीवन लखन जियाए
श्री रघुवीर हरषि उर लाए ।॥ (११)
रघुपति कीन्ही बहुत बडाई
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई ।॥ (१२)
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ।॥ (१३)
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा
नारद सारद सहित अहीसा ।॥ (१४)
जम कुबेर दिगपाल जहां ते
कबि कोविद कहि सके कहां ते ।॥ (१५)
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा
राम मिलाय राज पद दीन्हा ।॥ (१६)
तुम्हरो मन्त्र विभीषण माना
लंकेश्वर भये सब जग जाना ।॥ (१७)
जुग सहस्र जोजन पर भानू
लील्यो ताहि मधुर फल जानू ।॥ (१८)
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं
जलधि लांघि गए अचरज नाहिं ।॥ (१९)
दुर्गम काज जगत के जेते
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ।॥ (२०)
राम दुआरे तुम रखवारे
होत न आज्ञा बिनु पैसारे ।॥ (२१)
सब सुख लहै तुम्हारी सरना
तुम रक्षक काहु को डरना ।॥ (२२)
आपन तेज सम्हारो आपे
तीनो लोक हांक ते कांपै ।॥ (२३)
भूत पिसाच निकट नहिं आवै
महाबीर जब नाम सुनावै ।॥ (२४)
नासै रोग हरै सब पीरा
जपत् निरन्तर हनुमत बीरा ।॥ (२५)
संकट ते हनुमान छुडावै
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥ (२६)
सब पर राम तपस्वी राजा
तिनके काज सकल तुम साजा ॥ (२७)
और मनोरथ जो कोई लावै
सोई अमित जीवन फल पावै ॥ (२८)
चारो जुग परताप तुम्हारा
है प्रसिद्ध जगत उजियारा ॥ (२९)
साधु सन्त के तुम रखवारे
असुर निकन्दन राम दुलारे ॥ (३०)
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता
अस वर दीन जानकी माता ॥ (३१)
राम रसायन तुम्हरे पासा
सदा रहो रघुपति के दासा ॥ (३२)
तुम्हरे भजन राम को पावै
जन्म जन्म के दुख बिसरावै ॥ (३३)
अन्त काल रघुवर पुर जाई
जहां जन्म हरिभक्त कहाई ॥ (३४)
और देवता चित्त न धरई
हनुमत सेइ सर्व सुख करई ॥ (३५)
संकट कटै मिटै सब पीरा
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥ (३६)
जै जै जै हनुमान गोसाईं
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं ॥ (३७)
जो सत बार पाठ कर कोई
छूटहि बन्दि महासुख होई ॥ (३८)
जो यह पढै हनुमान चालीसा
होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥ (३९)
तुलसीदास सदा हरि चेरा
कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ।